आरे जंगल में पेड़ काटने के लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति जरूरी: सुप्रीम कोर्ट

मुंबई सुप्रीम कोर्ट ने आज अंतरिम आदेश जारी करते हुए मुंबई नगर निगम के ट्री अथॉरिटी को आरे कॉलोनी में पेड़ काटने के लिए मंजूरी देने से पहले अदालत की अनुमति लेने का निर्देश दिया है। यह आदेश आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड के निर्माण के लिए जंगल की जमीन के डीनोटिफिकेशन और पेड़ों की कटाई से संबंधित स्वतः संज्ञान याचिका की सुनवाई के दौरान दिया गया। मामले की अगली सुनवाई 5 मार्च को निर्धारित की गई है।

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की दो सदस्यीय पीठ ने कहा, “मुंबई नगर निगम का ट्री अथॉरिटी आरे कॉलोनी क्षेत्र में पेड़ काटने की अनुमति नहीं देगा। हालांकि, वे आवेदन की प्रक्रिया पूरी करने के बाद कोर्ट से अनुमति मांग सकते हैं।”

पेड़ कटाई का पूर्व इतिहास:
आरे कॉलोनी में पेड़ों की कटाई का पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने लंबे समय से विरोध किया है। नवंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने बताया था कि मेट्रो कार डिपो के काम के लिए 2,144 पेड़ और रैंप के निर्माण के लिए 212 पेड़ काटे गए थे। 29 नवंबर 2023 के फैसले में कोर्ट ने अपने पहले के स्थगन आदेश में संशोधन करते हुए रैंप के निर्माण के लिए 84 पेड़ काटने के लिए ट्री अथॉरिटी से आवेदन करने की अनुमति दी थी।

Fines and Indiscipline:
अप्रैल 2023 में, 84 पेड़ों की सीमा से अधिक पेड़ काटने पर सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (MMRCL) पर ₹10 लाख का जुर्माना लगाया था। अदालत ने कहा, “यदि पेड़ों की संख्या में बदलाव हुआ था, तो सही तरीका कोर्ट से अनुमति लेना होता।”

हालांकि, कोर्ट ने मेट्रो कार डिपो के निर्माण के लिए 177 पेड़ हटाने की अनुमति दी थी, जिसे ट्री अथॉरिटी ने पहले मंजूरी दी थी।

महत्वपूर्ण निर्देश:
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से आरे कॉलोनी के पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। मामले पर विस्तृत चर्चा अगली सुनवाई में होगी।

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