
मुंबई: पिछले महीने कुर्ला पश्चिम में हुई बेस्ट बस दुर्घटना के मुख्य आरोपी और बस चालक संजय मोरे की जमानत याचिका सत्र न्यायालय ने शुक्रवार को खारिज कर दी। मोरे ने दावा किया था कि वह निर्दोष है और यह दुर्घटना बस में तकनीकी खराबी के कारण हुई थी। इसी आधार पर उसने सत्र न्यायालय में जमानत के लिए याचिका दायर की थी। सत्र न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश सचिन पवार ने शुक्रवार को इस याचिका पर निर्णय देते हुए इसे खारिज कर दिया।
शनिवार को मोरे की जमानत याचिका पर दोनों पक्षों की दलीलें पूरी होने के बाद अदालत ने निर्णय सुरक्षित रखा था।
पुलिस ने किया जमानत का विरोध
न्यायवैज्ञानिक रिपोर्ट और आरटीओ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए पुलिस ने तर्क दिया कि घटना के समय मोरे नशे की हालत में नहीं था और बस में कोई तकनीकी खराबी भी नहीं थी। पुलिस ने दावा किया कि यह दुर्घटना मोरे की गलती से हुई थी। पुलिस ने आगे कहा कि मोरे एक अच्छा चालक नहीं है और वह समाज के लिए खतरा है। जमानत मिलने पर उसके फरार होने की आशंका भी जताई गई।
मोरे ने पेश की अपनी सफाई
दूसरी ओर, मोरे ने दावा किया कि वह 1989 से बस चला रहा है और इस दुर्घटना का कारण इलेक्ट्रिक बस में हुई तकनीकी खराबी है। उसने कहा कि उसे इस दुर्घटना के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। मोरे के वकील ने दलील दी कि इस दुर्घटना के लिए असली दोषियों को बचाने के लिए मोरे को बलि का बकरा बनाया जा रहा है।
मोरे के अनुसार, किसी भी बस ठेकेदार को इस मामले में गिरफ्तार नहीं किया गया है या आरोपी नहीं बनाया गया है। उसने बताया कि उसे कार्यालय में बस चलाने का प्रशिक्षण दिया गया था और दिंडोशी बस डिपो में इलेक्ट्रिक बस चलाने के लिए कहा गया था। इसके बाद, उसे कुर्ला में बस चलाने की अनुमति दी गई। मोरे ने दोहराया कि इस दुर्घटना के लिए केवल उसे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता और अदालत से जमानत देने का अनुरोध किया।